वैदिक ज्योतिष में पितृदोष के बाद मंगल दोष को सबसे ज्यादा अहमियत दी गई है। यह ऐसा दूसरा सबसे बड़ा दोष है, जो जातक के जीवन को प्रभावित करता है। मंगल दोष से पीड़ित जातक का जीवन कष्टमय होता है। विवाह में वेबजह की देरी होती है। यदि किसी तरह विवाह हो भी जाए तो दांपत्य जीवन के कलहपूर्ण रहने की आशंका बनी रहती है। अक्सर पति-पत्नी में गहरे मतभेद देखने को मिलते हैं। यहां तक की तलाक की नौबत भी आ जाती है। इन सब बातों को ध्यान में रखते हैं विद्वान मांगलिक दोष से पीड़ित जातक को इसका निवारण करने के बाद ही विवाह की सलाह देते हैं। इस दोष को मंगल दोष अथवा कुज दोष के नाम से भी जाना जाता है। यह एक ऐसी ज्योतिषीय स्थिति है। जब मंगल कुंडली के 1, 4, 7, 8 या 12 वें स्थान पर हो तो मंगल दोष बनता है। ऐसे जातक को मांगलिक कहा जाता है। यह स्थिति विवाह के अशुभ मानी जाती है । संबंधों में तनाव व बिखराव, कुटुंब में कोई अनहोनी व अप्रिय घटना, कार्य में बाधा और असुविधा तथा किसी भी प्रकार की क्षति और दंपत्ति की असामायिक मृत्यु का कारण मांगलिक दोष को माना जाता है। उपचार वैदिक ज्योतिष में कहा गया है कि एक मांगलिक को दूसरे मांगलिक से ही विवाह करना चाहिए । यदि वर और वधु मांगलिक होते है तो दोनों के मंगल दोष एक दूसरे के योग से समाप्त हो जाते है। मूल रूप से मंगल की प्रकृति के अनुसार ऐसा ग्रह योग हानिकारक प्रभाव दिखाता है, लेकिन वैदिक पूजा-प्रक्रिया के द्वारा इसके असर को नियंत्रित किया जा सकता है। मंगल ग्रह की पूजा के द्वारा मंगल देव को प्रसन्न किया जाता है। मंगल द्वारा जनित विनाशकारी प्रभावों, सर्वारिष्ट को शांत व नियंत्रित कर सकारात्मक प्रभावों में वृद्धि की जा सकती है- मंगल दोष जिन लोगो की कुंडली में हो वो शादी होने के बाद भी अलग अलग कुम्भ विवाह जरूर करा ले
कैसे पहचानें मंगलदोष
– मंगल दोष 28 वे वर्ष में अपने आप समाप्त हो जाता है और बिना कुंडली मिलाए शादी करा देनी चाहिए, ये लोगों का भ्रम है। यह हमेशा बना रहता है। हालांकि इसका असर कम होता जाता है।
– मंगल दोष के कारण लोगो के प्रेम संबंध टूट जाते है। शादी की बात बनते-बनते बिगड़ जाती है।
– पति-पत्नी में मंगल दोष हो तो वो एक दूसरे की इज्जत नहीं करते
– मंगल दोष वाले माता पिता की संतान को कष्ट होता है
– मंगल शारीरिक शक्ति को प्रभावित करता है। यदि शरीर कमजोर होगा तो शारीरिक ऊर्जा कम होगी
– ऐसे लोगो की संतान बीमार बहुत जल्दी जल्दी होगी
– मंगल दोष से प्रभावित पिता अपने बच्चो पर क्रोध बहुत करते हैं। इससे उनका बच्चा चिडचिड़ा हो जाता है या उसका स्वभाव आगे चल कर विद्रोही बन जाता है ।
कब नहीं होता मंगल दोष
– मंगल के साथ बृहस्पति अथवा चंद्र होने पर, अथवा उनकी दृष्टि होने पर मंगल दोष नष्ट हो जाता है
– मंगल अपनी राशि (मेष, वृश्चिक) अथवा उच्च राशि (मकर) में चतुर्थ अथवा सप्तम भाव में हो तो मंगल दोष नहीं होता
– कर्क और सिंह लग्न के लिए योगकारक होने से मंगल अनिष्टकारी नहीं होता
– कुंडलियों में राशि मित्रता, गण मित्रता और गुणों की बहुलता होने पर मंगल ग्रह दोष निष्प्रभावी हो जाता है।
– एक कुंडली में जिस स्थान पर मंगल हो उसी स्थान पर दूसरी कुंडली में शनि, राहु या केतु हो तो मंगल दोष नष्ट हो जाता है
– मंगल के साथ शनि अथवा राहु होने से मंगल दोष नष्ट होता है
– यदि वर कन्या दोनों की जन्मकुंडली के समान भावों में मंगल अथवा वैसी ही कोई अन्य पापग्रह बैठे हों तो मंगली दोष नही लगता।
मंगल दोष शांति के उपाय
– मंगलवार को सुन्दरकाण्ड एवं बालकाण्ड का पाठ करना लाभकारी होता हैे
– चांदी की चौकोर डिब्बी में शहद भरकर हनुमान मंदिर या किसी निर्जन वन, स्थान में रखने से मंगल दोष शांत होता हैे
– बंदरों व कुत्तों को गुड़ व आटे से बनी मीठी रोटी खिलाएं
– मंगल चन्द्रिका स्तोत्र का पाठ करना भी लाभ देता हैे
– मां मंगला गौरी की आराधना से भी मंगल दोष दूर होता हैे
– कार्तिकेय जी की पूजा से भी मंगल दोष के दुशप्रभाव में लाभ मिलता हैे
– आटे की लोई में गुड़ रखकर गाय को खिलाएं
– मंगल दोष के कारण यदि कन्या के विवाह में देरी होती है तो कन्या को सिर के नीचे हल्दी की गांठ रखकर सोना चाहिए और नियमित सोलह गुरूवार पीपल के वृक्ष में जल चढ़ाना चाहिए
– मंगलवार के दिन व्रत रखकर हनुमान जी की पूजा करने एवं हनुमान चालीसा का पाठ करने से व हनुमान जी को सिन्दूर एवं चमेली का तेल अर्पित करने से मंगल दोष शांत होता हैे
– महामृत्युजय मंत्र का जप हर प्रकार की बाधा का नाश करने वाला होता है, महामृत्युजय मंत्र का जप करा कर मंगल ग्रह की शांति करने से भी वैवाहिक व दांपत्य जीवन में मंगल का कुप्रभाव दूर होता है
– यदि कन्या मांगलिक है तो मांगलिक दोष को प्रभावहीन करने के लिए विवाह से ठीक पूर्व कन्या का विवाह शास्त्रीय विधि द्वारा प्राण प्रतिष्ठित श्री विष्णु प्रतिमा से करे, तत्पश्चात विवाह करेे
– यदि वर मांगलिक हो तो विवाह से ठीक पूर्व वर का विवाह तुलसी के पौधे के साथ या जल भरे घट (घड़ा) अर्थात कुम्भ से करवाएं।
– यदि मंगली दंपत्ति विवाहोपरांत लालवस्त्र धारण कर तांबे के पात्र में चावल भरकर एक रक्त पुष्प एवं एक रुपया पात्र पर रखकर पास के किसी भी हनुमान मन्दिर में रख आये तो मंगल के अधिपति देवता श्री हनुमान जी की कृपा से उनका वैवाहिक जीवन सदा सुखी बना रहता है
मंगल दोष वालों के लिए वरदान है तुलसी विवाह
मंगल दोष से प्रभावित लोगों के लिए तुलसी विवाह वरदान है। प्रबोधनी एकादशी पर भगवान विष्णु नेत्र खोलते हैं, उसके अगले दिन तुलसी विवाह होता है। ज्योतिषाचार्य बताते हैं कि जिनके जीवन में मंगल के कारण घर में लोगों की उन्नति नहीं हो रही है। दापंत्य जीवन में मधुरता की कमी है। पति-पत्नी का स्वास्थ्य खराब रहता है। ऐसी हालत में तुलसी विवाह का बहुत लाभ होता है। जिनका विवाह नहीं हो रहा है, रिश्ते बनते-बनते टूट जाते हैं, ऐसे कुंवारे भी तुलसी विवाह कर सकते हैं। पति-पत्नी मिलकर करें तो ज्यादा उत्तम है।
तुलसी विवाह का महत्व
तुलसी, भगवान विष्णु की बड़ी भक्त थीं। वह भगवान विष्णु को पति के रूप में देखना चाहती थीं। भगवान विष्णु ने तुलसी को आशीर्वाद दिया था कि कार्तिक मास शुक्ल पक्ष द्वादशी को आपके साथ विवाह होगा। इसी वजह से इस विवाह का बड़ा महत्व है। तुलसी के चबूतरे के पास भगवान विष्णु को लेकर वस्त्र पहना कर रक्षासूत्र बांधें। तुलसी पौध को चुनरी और शृंगार का सामान भेंट करें।